ईरानी सेना ने अमेरिका को धमकी दी और अमेरिका
यहूदी दुश्मन ने बहुत बड़ी गलती की है। एक बड़ा जुर्म किया है। ईरानी सेना ने कहा उसे सजा मिलनी चाहिए और मिल रही है। इस वक्त उसे सजा दी जा रही है। यह कहना है ईरान के सुप्रीम लीडर, आयातुललाह अली खामनेई का। खामनेई के ट्वीट में एक तस्वीर भी लगी है। एक कटा हुआ स्कल, आसमान से बरसती आग और उस स्कल के माथे पर इजराइल के झंडे सरीखी आकृति बनी है। इस आकृति को यहूदी धर्म से जोड़कर देखा जाता है। इजराइल के साथ जा रहे संघर्ष के बीच, अमेरिका भी ईरान के खिलाफ हमले में शामिल हो गया है। इसके हालिया अपडेट्स पर हम चलें, उससे पहले आपको खामनेई के ट्वीट की एक और बात बता देते हैं। वह यह है कि खामनेई ने किसी भी देश का नाम ना लेते हुए ट्वीट किया है, और जिस तरह से इस स्कल के सिर पर प्रतीक दिख रहा है, वह इजराइल की ओर सीधा इशारा करता है। इन हमलों के बाद,
ईरानी सेना ने अमेरिका को धमकी दी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ‘गैंबलर’ यानी जुआरी बताया।
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ईरान की सेना के , अल-अंबिया मुख्यालय के प्रवक्ता इब्राहिम जोर फखारी ने एक वीडियो मैसेज में कहा, “मिस्टर ट्रंप द गैंबलर। भले ही यह युद्ध तुमने शुरू किया हो, लेकिन इसे खत्म हम करेंगे।” दरअसल, अमेरिका ने ईरानी सेना के तीन परमाणु ठिकानों पर सेवन बी टू बॉम्बर से हमला किया था, फोल्ड नतंज और इस महान न्यूक्लियर साइड्स पर। अमेरिका ने इस हमले को ऑपरेशन मिडनाइट हैमर नाम दिया। बताया जाता है कि इस हमले में तकरीबन 30,000 पाउंड यानी तकरीबन 13.5 हज़ार किलो के जी वी यू 57 बम बरसाए गए थे और भी लगभग ऐसे 12 बम। इस्फहान और नतंज पर 30 टॉम हॉक क्रूज मिसाइलें भी दागी गईं। हमले के बाद, अमेरिका के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल डैन कीन ने व्हाइट हाउस में इसकी जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि मिडिल ईस्ट में जा रहे तनाव के बीच, ईरान के खिलाफ अमेरिका ने पहली बार इतने घातक गोला-बारूद का इस्तेमाल किया है। उन्होंने यह भी कहा कि बॉम्बर्स प्लेन को जानबूझकर प्रशांत महासागर की ओर से ले जाया गया, ताकि ईरान को भ्रम में रखा जा सके। वहीं, इस मिशन की जानकारी अमेरिका के गिने-चुने सीट अधिकारियों को ही थी। जीन ने कहा कि ईरान ने अमेरिकी प्लेन पर ना तो घुसते वक्त और ना ही लौटते समय कोई हमला किया। वहीं, स्पहान पर दागी गई टॉम हॉक मिसाइल इस मिशन का अंतिम हमला थी, जो पंडुबियों से दागी गई थी। इस ऑपरेशन के दौरान ईरान पूरी तरह भ्रमित रहा। उन्होंने दावा किया कि ईरान की जमीन से हवा में हमला करने वाली मिसाइल प्रणाली उन्हें नहीं पकड़ पाई। वहीं, अमेरिकी रक्षा मंत्री पी. हेक्टर ने इस ऑपरेशन को ऐतिहासिक सफलता बताया। उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब पूरी तरह से तबाह हो चुका है। पी. हेक्टर ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले दिन से साफ कर चुके हैं कि ईरान को कभी भी परमाणु हथियार नहीं हासिल करने दिया जाएगा। ईरान और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष से ईरानी सेना
की तीन साइट्स पर हमले के बाद ऑफ-साइट रेडिएशन के लेवल्स में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।
यह बयान यूनाइटेड नेशंस की एटॉमिक एनर्जी वॉचडॉग, यानी इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) का है। ईरान की तीन न्यूक्लियर फैसिलिटी सेंटर्स: फोल्डो, नतांज और इसफहान पर अमेरिकी हमले के बाद, IAEA का यह हालिया बयान है। IAEA ने कहा है कि सेंट्रल ईरान में पहाड़ों के भीतर बने फोल्डो यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी को कितना नुकसान पहुंचा है, यह तुरंत पता पाना मुश्किल है। चूंकि इसकी लोकेशन अंडरग्राउंड है, और जो बम गिराए गए हैं, वो गहरी चोट करने वाले हैं। लेकिन यह साफ है कि फोल्डो साइट पर इस हमले का सीधा असर पड़ा है। इस बात पर भी IAEA ने ज़ोर दिया है कि इस संघर्ष में शामिल देशों को डिप्लोमेटिक रास्तों के ज़रिए इसे सुलझाने की ज़रूरत है। इसके लिए हमें नेगोशिएशन टेबल पर लौटना होगा।
इसके बाद ही हम उन सूचनाओं को वेरीफाई कर पाएंगे, जिसमें कहा गया है कि ईरान के पास 400 किलो का यूरेनियम भंडार है। इससे पहले, 22 जून को अमेरिका के हमलों के बाद, ईरान ने IAEA पर आरोप लगाया था कि यह हमला इस संस्था की निगरानी में हुआ है। ईरान की एटॉमिक फैसिलिटी सेंटर को कंट्रोल करने वाली सरकारी एजेंसी, यानी एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ईरान (AEI) ने ये आरोप लगाए थे। इस ऑर्गेनाइजेशन ने यह भी कहा था कि इस हमले पर एजेंसी की चुप्पी उसके सहयोग की तरफ इशारा करती है। उधर, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सीनियर ईरानी अफसर ने एक दावा किया। उन्होंने कहा कि ईरान ने 22 जून को ही अमेरिका के हमले से पहले फोल्डो से अपने यूरेनियम भंडार को हटा लिया था।
अब एक सवाल जिसका जवाब समझना ज़रूरी है, यही कि ऐसे हमलों के बाद रेडिएशन फैलने का कितना डर है? इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ़ लिवरपूल में रेडिएशन प्रोटेक्शन साइंस और न्यूक्लियर एनर्जी पॉलिसी के प्रोफेसर पीटर ब्रायंट कहते हैं, अब तक हुए हमलों से रेडिएशन फैलने का खतरा ज़्यादा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अराज़ साइट फिलहाल चालू नहीं थी और नतांज फैसिलिटी ज़मीन के नीचे बनी हुई है, जहां से किसी रेडिएशन के रिसाव की खबर नहीं है। वे कहते हैं, इस समय असली मुद्दा यह है कि उस फैसिलिटी के अंदर क्या हुआ है। लेकिन परमाणु संयंत्र इस तरह की स्थितियों को संभालने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। ब्रायंट कहते हैं, यूरेनियम तभी खतरनाक होता है जब वह शरीर के भीतर पहुंच जाए, यानी अगर उसे सांस के ज़रिए अंदर ले लिया जाए या निगल लिया जाए, वह भी तब जब उसका एनरिचमेंट कम हो।।