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आखिर यह ब्लैक बॉक्स क्या होता है? आइए जानते है

ब्लैक बॉक्स

आज बात करते है ।अहमदाबाद में हुए विमान हादसे से जुड़ी जांच की एक अहम कड़ी के बारे में

 ब्लैक बॉक्स सब जानते है अब तक सब लोगों ने नाम सुन रखा है चमकीले नारंगी रंग के इस डिब्बे को भारत में। ढंग से जांच पड़ताल के लिए जो रखा गया था, उसे अमेरिका भेजने का फैसला क्यों किया गया है? हादसे के बाद जो लगी आग है, उसमें ब्लैक बॉक्स इतना ज्यादा डैमेज  हो गया है कि उसके उससे डेटा निकालना बहुत मुश्किल है। आगे की बात करें।

तो उससे पहले ये जान लीजिए की ब्लैक बॉक्स होता क्या है? इसमें दो पार्ट्स होते है, जिससे किसी भी हादसे के बाद जांच की जाती है या जानकारी जुटाई जाती है। डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर डी ऐफ़। डी आर, ये विमान की तकनीकी जानकारी देता है। जैसे समय ऊँचाई क्या थी, गति क्या थी, पिछले फ्लाइट्स के रिकॉर्ड क्या है? ये सब उसमें दर्ज होता है और कॉकपिट वौइस् रिकॉर्डर सी वी आर कई बार आपने इसको भी सुन लिया होगा। ये पायलटों की जो बातचीत हुई, कॉकपिट में जो आवाज़ें आई। जैसे इलेक्ट्रॉनिक से बात हुई वो सब कुछ इसमें रिकॉर्ड होता है। ब्लैक बॉक्स जो प्लेन के पिछले हिस्से में लगाया जाता है। माना ये जाता है कि प्लेन से  जब भी कोई हादसा होता है तो नोज के भार गिरता है। इसलिए ब्लैक बॉक्स को पिछले हिस्से में लगाकर के उसके बचने की संभावना हमेशा इस बार भी ब्लैक बॉक्स मिल गया है।

अब इसमें आगे की बात क्या है? रिपोर्ट बताती है की डी ऐफ़ डी आर की जांच अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड यानी एन टी एस बी की वाशिंगटन मौजूद लैब में होगी। एन टी एस बी की टीम ब्लैक बॉक्स को भारतीय अधिकारियों की निगरानी में अमेरिका ले जाएगी। वहाँ किसी इनकी मौजूदगी में जांच होगा ताकि नियमों का पालन किया जा सके और विश्वसनीयता? बनी रहे ऐसा दावा किया जा रहा है। इस जांच के बाद भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो यानी एयरक्रॉफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के साथ शेयर की जाएगी। ब्लैक बॉक्स में जो डेटा निकालने में 2 दिन लग सकता है या कई महीने भी लग सकते हैं। डिपेंड करता है कि

ब्लैक बॉक्सकितना डैमेज हुआ है।

एक तरफ ये खबर आई और दूसरी तरफ कुछ सवाल उठने लगे। मसलन, ब्लैक बॉक्स को अमेरिका भेजने की जरूरत क्यों पड़ रही है? क्या भारत में इस तरह की जाँच को अंजाम देने की क्षमता नहीं है या मसला कुछ और है?  केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने नई दिल्ली में।  सबदरजंग स्थित उड़ान भवन में की एक लैब का उद्घाटन किया है। ब्लैक बॉक्स डेटा को एनालाइज करने के लिए देश की पहली ऐसी लैब है हिंदुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड यानी हेच एल की मदद से ₹9,00,00,000 में ये बनकर तैयार हुई लैब है। उद्घाटन के वक्त दावा किया गया था कि लैब अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करती है और भारत की हादसों से जुड़ी। जांच क्षमता को विकसित देशों के बराबर लाती है। लेकिन इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया की ये लैब अभी पूरी तरीके से तैयार नहीं है और इतनी बुरी तरीके से खराब हुई ब्लैक बॉक्स का डेटा निकाल सकने में अभी। सक्षम नहीं है। हालांकि के ए आई बी के डी जीके डी जी  ने इस रिपोर्ट को रूप से गलत बताया। लेकिन अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ब्लैक बॉक्स को अमेरिका भेजने की तैयारी हो रही है। नई लैब में विश्वस्तरीय सुविधाएं हैं। लेकिन दूसरे देशों में ऐसी लैब्स है जो बेहद हाईटेक है। अगर ए आई बी के जांचकर्ताओं को लगता है कि ब्लैक बॉक्स में से डेटा नहीं निकाला जा सकता तो ऐसे में दूसरे देशों के लैब्स ने उसे भेजा।

जा सकता है। अहमदाबाद क्रैश के बाद ए आई बी कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। इंटरनेशनल एविएशन प्रोटोकोल के मुताबिक जांच एआईबी को ही करनी चाहिए क्योंकि। भारत की जमीन पर हुआ है। ए आई बी के पास दिल्ली में लैब है, लेकिन क्षमता पर सवाल ऐसे में ब्लैक बॉक्स को अमेरिका के सुपुर्द किया जा रहा है। वहाँ भी वाशिंगटन की लैब पूरी दुनिया में नामी है। डैमेज हो चूके ब्लैक बॉक्स से डेटा निकालने के संदर्भ में। उसकी एक्सपर्टीज मानी जाती है अमेरिकी मीडिया संस्थान जनरल यानी डब्ल्यू एस जे के हवाले से एक रिपोर्ट छपी है जो बताती है।विमान हादसे की जांच कर रहे लोगों का मानना है कि एयर इंडिया की फ्लाइट 171 में इमरजेंसी बिजली जेनरेटर यानी रैंप टरबाइन कहते हैं। वो काम कर रहा था, वो एक्टिवेट था और ये बहुत बड़ा संकेत है और ये तब होता है जब इंजन फैल हो जाता है क्योंकि टेक ऑफ के वक्त विमान के इंजन ठीक से काम कर रहे थे या नहीं कर रहे थे। इसलिए सवाल है और जांच में जो ये रैट ऑन एक्टिवेट होने की बात आ रही है। वो बहुत शुरुआती जानकारी है। इसको लेकर के अभी जांच होना है। लेकिन क्या नया अगल मिलता नजर आ रहा है इसको भी समझना चाहिए। जो रैट है वो है क्या? रैट एक छोटा सा प्रोपेलर होता है जो बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के निचले हिस्से में लगा होता है और इसका काम ये होता है कि इमरजेंसी के कंडीशन में बिजली बनाता रहे। सामान्य तौर पर विमान के इंजन बिजली पैदा करते हैं और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम को चलाते हैं। लेकिन अगर इंजन काम करना बंद कर दे तो महत्वपूर्ण हिस्सों को चलाने के लिए बिजली देता है।

कब काम करता है? बोइंग 787 के मैन्युअल के मुताबिक काम करना शुरू करता है जब दोनों इंजन फैल हो जाए।।

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