माओवादियों ने तीन की हत्या कर पुलिस का मुखबिर बताया।

मुखबिर बताकर की तीन ग्रामीणों की हत्या।

किस तरह से माओवादियों ने बहुत ही निर्ममता से तीन लोगों की हत्या की। हत्या करने के बाद, आरोप लगाया गया कि दिनेश मडियम के कहने पर, ये मुखबिर की तैयारी कर रहे थे। साथ ही साथ, उनके परिजनों से हमने जो बातचीत की, जो आपने खबर देखी होगी, कि किस तरह से उनकी भाभी ने, उनके भाई ने बताया कि बहुत ही निर्ममता से उन बच्चों की हत्या की गई। एक बच्चा, सोमा, जो कि कॉलेज की तैयारी कर रहा था, और दूसरा अनिल, जो कि मात्र 13 साल का था, उसकी भी हत्या की गई। जब इस खबर को प्रमुखता से दिखाया, तो माओवादियों ने एक पत्र जारी किया है।

माओवादियों ने एक पत्र जारी किया है।

यह पत्र गंगालूर एरिया कमेटी के द्वारा भेजा गया है, जिसमें माओवादियों ने अपनी तरफ से जो बयान दिया है, वो पेश किया है। उन्होंने लिखा है: “भारत की कम्युनिस्ट पार्टी, माओवादी, गंगालूर एरिया कमेटी, प्रेस विज्ञाप्ति । उन्होंने कहा, “बीजापुर जिला, पेदा कोरमा गांव में गद्दार दिनेश के परिवार को पहले भी जन अदालत में रखकर उन्हें पांच-छह बार समझाया गया, फिर भी नहीं सुधरे। बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव, गद्दार मुंडीराम दिनेश के नेतृत्व में कुछ छात्रों और बच्चों को गोपनीय सैनिक स्मार टीम बनाकर सूचना देने के लिए तैयारी कर उन्हें गांव में ही रखा गया।” उन्हें पहले भी हम समझा कर पकड़े और पूछताछ करने के बाद, जब बाद जन अदालत में रखा गया, मुड़ियम डुग्गू मुड़ियम सोमाल, माड़वी अनिल को खत्म किया गया। इन्हें पहले भी कई बार समझाया गया, फिर भी नहीं समझे। हमारे पीएलजी के ऊपर कई बार हमला करने के लिए पुलिस को सूचना दी,

इसलिए उन्हें पकड़ कर हत्या की गई। इस हत्या की जिम्मेदारी सरकारी पुलिस अधिकारी जितेंद्र यादव, गद्दार दिनेश, मनीष संतोष की है। इनके जैसे कोई भी व्यक्ति काम करेगा, तो उनको यही सजा दी जाएगी। मुड़ियम डुग्गू को ₹25,000 दिए। कुछ दिन के बाद ₹25,000 एसपी देने का था। कुछ रुपए को बैंक में रखने का गद्दार दिनेश डुग्गू ने वादा किया। मुड़ियम सोमाल को दो महीना ट्रेनिंग देकर, ₹10,000 देकर स्मॉल टीम में रखा। माड़वी अनिल भी इस टीम में सदस्य था। इन्हीं के साथ 10 लोग थे, उन्हें भी पकड़ कर जन अदालत में रखा, समझाया और छोड़ दिए। हम सभी लोगों से अपील कर रहे हैं, वैसे इंटेलिजेंस, गोपनीय से, सैनिक और जन विरोधी काम पर ना जाएं, और अपनी-अपनी जिंदगी का सोचें। अपना अधिकार खुद छीनने वाले सामंतवाद, दलाल, नौकरशाही, पूंजीवादी साम्राज्यवाद को देश की संपत्ति को सौंप रहे हैं। हिंदू फासीवादी सरकार के खिलाफ लड़ेंगे, जन युद्ध के ऑपरेशन कगार को हराएंगे पीएलजी। और इसको लेकर उन्होंने माओवादी जिंदाबाद के नारे भी लगाए हैं इस पत्र में, और साथ ही साथ में ये लिखा हुआ है: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी, गंगालूर एरिया कमेटी।

माओवादियों ने अपनी तरफ से जो बयान

ये पत्र उन तीन छात्रों की हत्या के बाद  माओवादियों ने ये बताया कि किस तरह से पुलिस ने इन तीनों जो मारे गए छात्र हैं, उन्हें अपना मुखबिर तैयार किया था,

जिसमें दिनेश मुड़ियम। गंगालूर एरिया कमेटी का एक बड़ा माओवादी नेता था, डीबीसी स्तर का जो माओवादी नेता है, और उसके साथ बहुत ज्यादा संगठन को मजबूत करने में उसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही किसी समय में, लेकिन उसके समर्पण कर देने से माओवादियों को बड़ा झटका लगा। और लगातार उस इलाके में बड़ी मुठभेड़ें हुई,  ऐंड्री की मुठभेड़ें हुईं, जिसमें 26 माओवादी मारे गए। इसके पीछे भी दिनेश मुड़ियम का ही हाथ होना माओवादियों के द्वारा ऐसा माना जाता है। साथ ही साथ उनको लगता है कि लगातार जो मुठभेड़ें हो रही हैं, उसके पीछे भी दिनेश मुड़ियम का हाथ है, और इसमें मुखबिरी के तौर पर उसने पेदा कोरमा के इन तीन छात्रों को भी अपने साथ जोड़ा, उसके साथ पैसे की लेनदेन का काम भी किया गया था। इस तरह का आरोप लगाया गया।

और वहीं दूसरी तरफ, पुलिस ने वह जो इंद्रावती टाइगर रिजर्व में, सरकारी स्कूल के रसोइए को भी ₹1,00,000 का इनाम नक्सली बताकर मार दिया गया। तो, उसको लेकर भी पुलिस ने एक प्रेस नोट जारी किया है। पुलिस ने हालांकि इसे टेक्स्ट के तौर पर जारी किया है, क्या लिखा है 21 जून को, हालांकि प्रेस नोट पुलिस ने जारी किया है। इसमें लिखा है: बीजापुर जिले के नेशनल पार्क क्षेत्र में जून 2025 के पहले पखवाड़े के दौरान सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए सघन माओवादी विरोधी अभियान की श्रृंखला में माओवादी कैडर व सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ों के पश्चात सात माओवादियों के शव बरामद किए गए।

बरामद शवों में दोनों दो शीर्ष माओवादी नेताओं गौतम उर्फ सुधाकर, भाकपा माओवादी की केंद्रीय समिति सदस्य समिति का सदस्य और भास्कर राव, भाकपा माओवादी स्टेट कमेटी के सदस्य शामिल हैं। बरामद शवों में से एक की पहचान महेश कोडियम के रूप में की गई, जो बीजापुर जिले के फ़रसगढ थाना अंतर्गत ईरप्पागुटा गांव का निवासी था,मृत महेश  कोडियम के शव का पंचनामा किए जाने के दौरान ये तथ्य सामने आए कि वो नेशनल पार्क क्षेत्र, डिवीजन के अंतर्गत प्रतिबंधित भागपा माओवादी संगठन पार्टी का सदस्य था और उसकी संलिप्तता इस अवैध संगठन से थी। यह भी सामने आया कि महेश कोडीयम ईरप्पागुटा गांव के प्राथमिक विद्यालय में रसोई सायक के रूप में कार्यरत था। उसका चयन गांव की विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा किया गया था, मार्च 2025 तक उसे वो दिया जा रहा था। यह भी जांच का विषय है कि महेश कोडियम इन परिस्थितियों में केंद्रीय समिति सदस्य गौतम, राज्य समिति सदस्य भास्कर जैसे माओवादी नेताओं के संपर्क में आया। इस पूरे मामले की हर पहलू से गंभीर, निष्पक्ष, और तफ्तीश तरीके से जांच की जा रही है। पुलिस एक बार पुनः माओवादी संगठन से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जुड़े सभी व्यक्तियों से अपील करती है कि वे इस प्रतिबंधित और अवैध संगठन से तत्काल संबंध विच्छेद करें। माओवादी संगठन से जुड़ना न केवल समाज और क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि स्वयं संबंधित व्यक्ति के जीवन और भविष्य के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है। यह पुलिस ने अपने प्रेस नोट में कहा है।

माओवादी संगठन ने कहा कि ₹25,000 एस पी ने और अ दिनेश कोडीयाम ने दिया है, उन तीनों छात्रों को, दो छात्र और एक जो ग्रामीण है, ताकि वो माओवादियों के खिलाफ मुखबिरी कर सके। अब आप सोचिए, कि माओवादियों ने जो तर्क दिया है, अगर आपके पास इस बात का सबूत है, तो मुझे लगता है कि आपको वो भी पेश करना चाहिए। यानी कि आप एक प्रेस नोट जारी कर दिया। क्या 13 साल का बच्चा पुलिस के संपर्क में आएगा और ₹25,000 उसे दिया जाएगा और वो इस तरह के जान जोखिम में डालने वाले कृत्यों को करेगा? अगर मुखबिरी को लेकर अगर पुलिस को कोई टीम तैयार करनी होगी तो उसके लिए वो मुझे लगता है किसी परिपक्व युवक को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेंगे। जैसे कि सोना की जो उम्र है, मुझे लगता है कि वो कॉलेज में जाने की योग्य हो गया था, तो हो सकता है कि वो पुलिस के साथ उसे दिनेश कोडीयाम ने जोड़ा हो, हो सकता है। क्योंकि मेरे पास इसके लिए कोई एविडेंस है ही नहीं। ना ही ऐसे कोई साक्ष्य मिले हैं।

हां, ये साक्ष्य जरूर मिले हैं कि वो लगातार अपनी पढ़ाई को लेकर जागरूक था, लगातार किसी सरकारी नौकरी में जाने का इच्छुक था। इसको लेकर उसने आबकारी विभाग में भी एक फॉर्म अप्लाई किया था नौकरी को लेकर और साथ ही साथ आगे बढ़ने को लेकर भी लगातार फॉर्म भरने की तैयारी उसके द्वारा की जा रही थी। ये जिससे इस बात की ओर इशारा मिलता है कि वो पढ़ने को लेकर जागरूक जरूर था, आगे कुछ करना चाहता था, लेकिन वो मुखबिर बन गया या नहीं बना, ये जांच का विषय है। अगर आपको लगता है कि वो मुखबिर बना और आपके द्वारा ये बताया जा रहा है कि माओवादियों के द्वारा की, आपने चार से पांच बार जन अदालत लगाया। तो इस बात का जिक्र उसके परिवार के लोगों ने नहीं किया। उन्होंने कहा कि सीधे पहले ही जन अदालत में उसे जान से मार दिया गया। वो भी काफी निर्ममतापूर्वक हत्या है ।

अब बात करते हैं महेश की,शिक्षक ने भी बताया है कि महेश मुड़ियम वहां पर लगातार लंबे समय से रसोईया के पद पर था। आप बोल रहे हैं कि पारदर्शिता से इस पूरे मामले की आप जांच करेंगे कि कैसे वो आखिर रसोईया बना और कैसे वो माओवादियों के बड़े नेताओं के संपर्क में था। अगर आपने रसोईए की हत्या ने तो अभी तक हत्या ही बोल रहा हूं, पुलिस इसे कथित मुठभेड़ बता रही है और पुलिस ने इसे एक लाख का इनामी नक्सली बता रही है। लेकिन जो ग्राम गांव वालों ने आरोप लगाया कि उसे पकड़ कर मारा गया। कैसे महेश मुंडियम को हाथ बांध कर ले जाया जा रहा था और उसने आकर सूचना गांव वालों को दी। पुलिस का कहना है

कि ये माओवादियों के संपर्क में था। अगर आपने उस पूरी रिपोर्ट को देखा होगा तो आप देखेंगे कि गांव वालों ने इस बात को भी स्वीकार किया कि जो मारे गए छह माओवादी हैं, वो सारे माओवादी ही हैं। उन पर उन्होंने किसी तरह का संदेह नहीं जाहिर किया। उन्होंने बताया कि सुधाकर है, भास्कर है और सभी के नाम भी बताए हैं। लेकिन महेश को लेकर उन्होंने पूरे गांव वालों ने कहा कि ये सात बच्चों का बाप है। इसके चार बच्चे भोपालपट्टनम में रहते हैं वहां पढ़ाई करा रहा है, और  तीन बच्चे उसी स्कूल में आते थे जहां उनका बाप रसोईया था। ये तस्वीर देखिए। ये तस्वीर पुरानी है जिसमें महेश सभी बच्चों को खाना खिला रहा है। इसमें सोचने वाली बात है,

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