Site icon TAJAKHABAR

फ्रांस में नीडल स्पाइकिंग अटैक

फ्रांस में अलग अलग जगह पर नीडल स्पाइकिंग हमला।

फ्रांस में अलग अलग जगह पर नीडल स्पाइकिंग हमला।

फ्रांस ख़बरों पर फोकस करने वाली मीडिया संस्था, फ्रांस 24 की रिपोर्ट के मुताबिक, 21 जून 2025 को  अलग-अलग शहरों में फेत दुला म्यूजिक ऑर्गेनाइज हुआ। जिसमें नीडल स्पाइकिंग हमला हुआ।इसमें हर एज ग्रुप, हर जेंडर के लोग बढ़ चढ़कर शामिल होते हैं। क्राउड इतना होता है कि बीच में कोई भी दाखिल हो जाए तो पता लगाना मुश्किल हो सकता है। सुरक्षा के इंतजामात होते ज़रूर हैं, मगर चकमा देने वाले दे देते हैं। और ऐसा सच में हो गया। फ़ेत दुला म्यूजिक के दौरान, 145 लोगों ने दावा किया कि उन्हें भीड़ के बीच सुई चुभोई गई। अपराधियों ने ज़्यादातर महिलाओं और नाबालिक लड़कियों को अपना निशाना बनाया। इस सिरिंज के बहाने क्या कोई पदार्थ उनके शरीर में डाला गया? अगर हां, तो वह क्या था? यह जांच का विषय है, लेकिन सुई चुभने के बाद कई पीड़ितों ने सिरदर्द, चक्कर आना, बेहोशी और त्वचा पर निशान जैसे सिम्टम्स बताए।

शिकायत करते वक्त, ये लक्षण पीड़ितों ने पुलिस को भी बताए थे, जिसके बाद पुलिसिया कार्यवाही शुरू होती है। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थान, द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस की पुलिस ने 12 संदिग्धों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों में 20 साल का लड़का भी है। इनमें से चार पर लगभग 50 पीड़ितों को निशाना बनाने का आरोप है। बताया जा रहा है कि ये काम इन चारों ने आंगूलेम शहर में किया है। फ्रांस के मैक्स सिटी से भी दो संदिग्ध पकड़े गए हैं, जहां पीड़ितों में नाबालिक भी शामिल थे। पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन शुरू कर दी है और पीड़ितों के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं। इनके अंदर टॉक्सिक कॉन्टैक्ट यानी विषैले पदार्थों के लिए भी जांच हो रही है, जो सैंपल से हो रहा है। जांच में क्या निकलता है, अब इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। क्योंकि, इसी से इस केस की सारी कहानी खुलेगी। जांच की रिपोर्ट से पता चलेगा कि आखिर सिरिंज चुभाकर शरीर में क्या प्रभाव डाला गया। साथ ही, मकसद क्या था? मगर, यहां एक बड़ा सवाल ये भी पैदा होता है कि नीडल स्पाइकिंग, माने सुई हमला है

थोड़ा इसे भी समझने की कोशिश करते हैं। सुई से हमला या नीडल स्पाइकिंग का मतलब है कि कोई व्यक्ति भीड़ में किसी को बिना उनकी जानकारी के सुई चुभो देता है। इससे नशीली या बेहोशी वाली दवाएं या ड्रग्स शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। अमूमन इन केमिकल्स में पीड़ित को भ्रमित, कमज़ोर या बेहोश करने की क्षमता होती है, जिससे विक्टिम्स को शारीरिक या मानसिक नुक्सान पहुंचे। इन ड्रग्स में GHB या रोयक्नॉल जैसी नशे की दवा भी भरी जाती है, जो अक्सर यौन हमलों के दौरान इस्तेमाल की जाती है। कई दफा ये सिर्फ कोई एंड गोल ना होकर, महज एक ज़रिया होता है ताकि हल्का बेहोश करके पीड़ित के साथ कुछ और किया जा सके जैसे चोरी, यौन उत्पीड़न, शोषण, किडनैपिंग आदि। जर्मन मीडिया संस्थान DW के मुताबिक, जिन विक्टिम्स ने सुई चुभ जाने के बाद अलग-अलग लक्षणों के बारे में बताया, उनमें से 14 लोगों को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया, जहां उनका इलाज किया गया। भर्ती होने वालों में एक 17 साल की लड़की भी है।

हालांकि, ऐसा नहीं था कि ये अटैक एकदम से हुआ हो। प्लानिंग पहले से थी। फ्रांस 24 और द गार्जियन की रिपोर्ट में बताया गया कि म्यूजिक फेस्टिवल से पहले ही सोशल मीडिया पर उत्सवों के दौरान महिलाओं को निशाना बनाए जाने की चेतावनी दी गई थी। पेरिस पुलिस के मुखिया लोहूनोनियस ने इसे बेहद गंभीर बताया और ऐसी पोस्ट्स को बिल्कुल मूर्खतापूर्ण करार दिया था। पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने की अपील की थी। लेकिन, जब घटना हो गई और लोगों ने रिपोर्ट किया, तो लोहूनियस ने कहा, कोई मेजर घटना रिपोर्ट नहीं की गई है।

ऐसे में पुलिस के रवैये पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि ऐसा नहीं है कि इस तरह का हमला फ्रांस में पहली बार हुआ हो। ये अटैक आपके और हमारे लिए ज़रूर विचित्र हो, मगर यूरोप में पहले भी इस तरह की घटनाएं देखी गई हैं। ABC न्यूज़ की रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ सालों में यूरोप के कई देशों में नीडल स्पाइकिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। यूके के पार्लियामेंट पब्लिकेशंस ने छापा है कि यूनाइटेड किंगडम के अंदर साल 2022 में नीडल स्पाइकिंग के 1,000 से ज़्यादा केसेस दर्ज हुए थे। ये हमले आमतौर पर बार, क्लब और त्यौहारों यानी उत्सवों में होते हैं, जहां भीड़ होती है। फ्रांस में भी इससे पहले इसी तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

बल्कि, फ्रांस 24 और ABC न्यूज़ के मुताबिक इसी साल यानी 2022 में फेस्टिवल के दौरान 370 से ज़्यादा लोगों को अलग-अलग क्रिमिनल चार्जेज़ में गिरफ्तार किया गया। 14 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और 13 पुलिस कर्मी भी घायल हुए। पुलिस ने कहा कि पेरिस में इस साल भीड़ पिछले साल की तुलना में तीन से चार गुना ज़्यादा थी, जिससे सुरक्षा चुनौती बढ़ गई। इस तरह की घटनाएं ना केवल सुरक्षा व्यवस्था की कमी उजागर करती हैं, बल्कि महिलाओं और युवाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं, ख़ास तौर पर तब, जब नाबालिक लड़कियों को भी निशाना बनाया जाए। ऐसे हमले जहां कानूनी कार्रवाई की मांग करते हैं, वहीं हमें समाज में जागरूकता और सतर्कता बढ़ाने की भी ज़रूरत है।

Exit mobile version