पांच जन जातियों को राष्ट्रपति ने गोद लिया है।
आज हम खुलासा करने जा रहे हैं। ये खुलासा राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों से है। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र लिखने मतलब ये है कि छत्तीसगढ़ में जिन पांच जन जातियों को राष्ट्रपति ने गोद लिया है।ताकि उन जनजातियों का संरक्षण हो सके। उस जाति का लाभ कैसे कोई और उठा रहा है? एक और दो की संख्या भी नहीं 50,55 और लगभग सैकड़ों की संख्या में लोग अपनी जातियां बदल रहे है। जाति के लिए अपने बाप को बदल दिया जा रहा है। जाती के लिए अपने दादा को बदल दिया जा रहा है। जाती के लिए अपनी पहचान बदली जा रही है, जाती पाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए जा रहे है और इसकी कीमत कितनी है? ₹3,00,000 अगर आपकी सरकारी नौकरी नहीं लगती है तो आप ₹3,00,000 खर्च करके। और जाति प्रमाण पत्र बनवा लीजिए। कैसे पूरा का पूरा गांव के जाति बदल कर सरकारी नौकरियों में लग गया? किसी की पूरी उम्र खप जाती है तैयारियां करने में ताकि उसको सरकारी नौकरी मिल सके। लेकिन बिलासपुर के पास सीपत के नजदीक पोड़ी गांव के लोगों ने पेंड्रा रोड से बैगा का जाति प्रमाण पत्र बनवाया जाता है और ये
जाति प्रमाण पत्र।सरकारी नौकरी लगने के काम आता है।
छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी के लिए बैगा जनजाति को विशेष रूप से आरक्षण है, जिसके तहत अगर वो बारहवीं पास होते हैं तो उनको नौकरी का प्रावधान है। अगर वो सरकारी भर्तियों में अपना फॉर्म भरते हैं तो ये मान के चलिए की उनका होना तय है क्योंकि सरकार की ओर से आरक्षण व्यवस्था में उनको कोचिंग उनको उतनी छूट मिली हुई है। उनको सुविधा मिली हुई है जिसकी वजह से उनकी सरकारी नौकरी में उनके परिवार को ऊपर उठाने के लिए उनके समाज के संरक्षण के लिए उनके लिए व्यवस्था की गई है। लेकिन असल बैगा जातियां के लोग क्या कर रहे हैं? छत्तीसगढ़ के किसी पहाड़ की तराई के गांव में बैठकर शासकीय शिक्षा ले रहे है। अपने मूलभूत जरूरतों के लिए सरकार के सामने गुहार लगा रहे है। कोई अगर बारहवीं पास हो जाता है तो उसके घर के लिए जश्न का माहौल होता है। कितनी पिछली जनजाति? लेकिन इसका लाभ कौन ले रहा है, सिलसिलेवार ढंग से आपको बताते है । ये अब तक का सबसे बड़ा छत्तीसगढ़ का जाति घोटाला है।
आपने घोटाला तो सुना होगा। धान घोटाला पूल घोटाला ये जाति का पहला घोटाला है छत्तीसगढ़ में से इतने बड़े पैमाने पर। अपनी जातियां बदली गयी है और जाति बदलकर बैगा बन गए। बैगा बनने के बाद जो छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी कर रहे है। कांग्रेस शासनकाल की विधानसभा का सत्र चल रहा था और विधानसभा रोड पर कुछ छात्र। नंगे होकर अपने बदन से पूरे कपड़े निकाल कर रैली निकाल रहे थे। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस को ट्वीट किया था और ये कहा था कि सरकार फर्जी जाति प्रमाण पत्र वालों को नौकरी से नहीं निकाल रही है और असली जनजाति के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इस सूचि में तीन लोग ऐसे थे जिनका सम्बंध इस पोली गांव से भी है। अब छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सीपत के नजदीक एक गांव है पोड़ी। उस गांव में धीवर जाति के लोग रहते हैं और धीवर जाति के लोगों में कुछ लोगों के डीटेल बताते है। जो अब शिक्षक बन चूके है, जिनकी नौकरी चल रही है,