ये फोटो देखने के बाद ,
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में जो भ्रष्टाचार हुआ ये देखकर आपको बहुत गुस्सा आएगा उस ठेकेदार पे ,आपको गुस्सा आने वाला है इंजीनियर पे क्योंकि आपके दिए टैक्स के पैसे से ये भ्रष्टाचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
सोचिए आप हर साल इन्कम टैक्स देते हैं। और भी जगहों के टैक्स देते हैं। तमाम माध्यम से पैसा सरकार को देते हैं, सरकारी खजारे में जाता है लेकिन आपके लिए पैसों का किस तरह से भ्रष्टाचार हो रहा है, ये आज आपको पता चलने वाला है। दुर्ग और राजनांदगांव के बीच में जो मुड़ी पार गांव है। एक गांव है मुढ़ीपार रेलवे स्टेशन है और उस रेलवे पटरी को क्रॉस करने के लिए ₹18,00,00,000 खर्च करके एक फ्लाईओवर निर्माण किया गया है। 16 अप्रैल 2025 को इस फ्लाईओवर का लोकार्पण किया गया। यानी कि लोगों के लिए चलने के लिए। शुरू किया गया राष्ट्र को समर्पित किया गया। लेकिन राष्ट्र को समर्पित इस ओवर बीज में भ्रष्टाचार कितना हुआ है ये आज आपको पता चलने वाला है।
इस खूबसूरत से फाइव ओवर में इन्होंने खूबसूरत सा भ्रष्टाचार किया है। राजनांदगांव का ओवरब्रिज बनाना रेलवे का काम है और इसका काम किया है ठेकेदारों ने क्योंकि अब तक रेलवे के अधिकारियों ने। कोई कार्रवाई नहीं की और इसीलिए इस ठेकेदार के बारे में किसी को पता ही नहीं चला। 18,00,00,000 का ओवरब्रिज है और 18,00,00,000 के ओवरब्रिज में 17 मई को ही दरारें आ गई थी। 17 मई को ही खबरें आ गई थी। और आप खबरें आप आसानी से देख पा रहे होंगे। उसके बाद कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन भ्रष्टाचार तो भ्रष्टाचार है। एक ना 1 दिन वो बाहर आना ही है और भला इंद्रदेव जी का भगवान इंद्रदेव का धन्यवाद। उनकी हल्की बारिश से ये पूरे भ्रष्टाचार की पोल पट्टी खुलकर सामने आ गई। हैरानी होती है रेलवे ने इसका ठेका किसे दिया था? सिर्फ एक पूल नहीं है जीस ठेकेदार के पास ये काम है उस ठेकेदार के पास बहुत सारे पूल है एक पूल में ही भ्रष्टाचार नहीं। उन बाकी पुलों में भी भ्रष्टाचार है तो उन पुलों के बारे में आपको बताने वाला हूँ ताकि आप जब उस फूल के बारे में सुने, उसके बाद जाकर देखिएगा जरूर। क्या वहाँ भी मुढ़ी पार जैसा काम हो रहा है? हैरानी की बात तो ये है की दो से तीन बार ये चीज़े सामने आ चुकी है। लेकिन एक कार्रवाई नहीं हुई है।
कंपनी का नाम है घई बिल्डकॉन। एलएलपी। ये रेलवे के गति शक्ति कंस्ट्रक्शन ब्रांच है। पुणे में दफ्तर है और घई बिल्डकॉन को इसका ठेका दिया हुआ है। सिर्फ एक ब्रिज का काम नहीं है। इनके पास मूडी पार है, बरगा फाटक एल सी 463 का है। धनगांव फाटक एल सी 464 इसका कोड नेम है, खबरी कला का ब्रिज भी है। एल सी 465 दूसेरा का ब्रिज है, एल सी 472 चिंदो का ब्रिज है, एल सी 470 अछोली का ब्रिज है एल सी 478 यानी की। सिर्फ और सिर्फ के अलावा बाकी छह अन्य है। यानी की सात ओवरब्रीज़ का काम दिया गया है। टोटल राशि की बात करें, पैसा की बात करें। ₹160,00,00,000 का प्रोजेक्ट इन्हें दिया गया है। रेलवे के इंजीनियरों ने। ठीक है, कंपनी सारे पैरामीटर को फालू करती होगी, लेकिन उसकी मॉनीटरिंग करने का काम भी होता है। लगता है कि रेलवे के इंजीनियर को मॉनीटरिंग करनी चाहिए थी। अगर नहीं की है तो उन इंजीनियरों के खिलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए। उन अधिकारियों के खिलाफ़ भी कार्रवाई होनी चाहिए जो पब्लिक के पैसे से इस तरह से भ्रष्टाचार कर रहे हैं। ठेकेदार के साथ मिलकर इसके साथ साथ आपको बता देते हैं कि कंबाइंड दिया गया था 60,00,00,000 का और ये ब्रिज रेलवे का है। कंपनी पुणे की है। घई कंस्ट्रक्शन घई बिल्डकॉन अभी तक घई घई बिल्डकॉन के बारे में कोई बात नहीं कर रहा था। हमने थोड़ी सी जांच पड़ताल की, अपने सोर्स को लगाया, अपने सूत्रों को लगाया, उन्हें फ़ोन किया, वर्क ऑर्डर की कॉपी मंगवाई, वर्क ऑर्डर की कॉपी मंगवाने के बाद स्पष्ट हुई।
को ठेका दिया गया है। और घई बिल्डकॉन का काम तो आप देखा । एक महीने में दरार आ गयी। एक महीने में गड्ढे आ गए, दो महीने में सड़क उखड़ गई। तीन महीने में तो सत्यानाश हो गया राजनांदगांव के फ्लाईओवर का सत्यानाश हो गया। सोचिए वो गांव वाले कितनी उम्मीद लगा कर बैठे थे? कि वहाँ पे फ्लाइओवर बन रहा है। 50,000 से ज्यादा लोगों को राहत मिलेंगे क्योंकि मुड़ी पार के अलावा आसपास के मनघटा फूलझर जो उस रूट में जाते हैं, उन्हें राहत मिलेंगे। लेकिन भ्रष्टाचार करने वाले इन भ्रष्टाचारियों ने सत्यानाश कर दिया और आपके?