छत्तीसगढ़ के बस्तर बीजापुर से आई दुखद खबर।

बस्तर पूछ रहा है सरकार से क्या?

छत्तीसगढ़ की लाल धरती

छत्तीसगढ़ में अब भी वक्त नहीं आया जब बंदूकें नहीं बच्चों के हाथों में कलम दिया जाए एक अरमान था किताबों से लड़ने का, बंदूकों के बीच वो दब गया। कब तक खून की होली खेली जाएगी, छत्तीसगढ़ ,बस्तर, के पहाड़ों में? कब तक चिताएं जलेंगी बस्तर की रातों में? कभी किताबों से भरी झोली अब खामोश है। फिर एक माँ की गोद सुनी है और बगल में लाशें हैं।

तारीख था 17 जून। छत्तीसगढ़ के बीजापुर से सबसे बड़ी एक दर्दनाक खबर आई जिसने छत्तीसगढ़ की लाल धरती को। उनके खून से और लाल कर दिया। नक्सलियों ने दो छात्र समेत एक ग्रामीण की निर्मम हत्या कर दी। दरअसल, पेद्दाकोरमा गांव में नक्सलियों ने जीस बेरहमी से तीन मासूम ज़िंदगियों को मिटा दिया। उसने न सिर्फ एक गांव बल्कि पूरे मानवता को झकझोर कर रख दिया। बीजापुर जिले के पेड्डा कोरमा गांव में नक्सलियों ने जो किया उसने सिर्फ इन जिंदगियों को नहीं छीना बल्कि दो परिवारों की उम्मीद भी छीन ली। 13 साल का अनिल माडवी गांव के सरकारी स्कूल में सातवी का छात्र था। रोज़ नंगे पांव स्कूल जाता था,अनिल के मासूम हाथों में आज कलम नहीं उसकी तस्वीर की माला थामी है। 20 साल का सोमा मोडियम एक साधारण आदिवासी परिवार का लड़का जिसने एनसीसी जॉइन कर अपने गांव का नाम ऊंचा करने का ठाना था और वह कार्य निरीक्षक बनने की तैयारी भी कर रहा था। कोचिंग के लिए जंगलों से चलकर जिला मुख्यालय जाता था लेकिन अब उसका शरीर पोस्टमॉर्टम हॉउस में में पड़ा है।

तिसरा मृतक कृष्णा कुंजाम, ग्रामीण। खेती मजदूरी करने वाला शख्स जो किसी भी राजनीतिक विचारधारा से दूर दूर तक नाता नहीं रखता था। बस अपने खेत और बच्चों की चिंता करता था। इन तीनों की निर्मम हत्या नक्सलियों ने कर दी। क्यों? मिली जानकारी के अनुसार नक्सली गांव के 10 से ज्यादा लड़कों को बंधक बनाकर अपने साथ लेकर गए। हालांकि उनकी बेदम पिटाई करने के बाद उन्हें छोड़ दिया। पुलिस के ऑपरेशन से बौखलाए नक्सली अब स्कूल और कॉलेज के बच्चों को। पकड़कर उनका कतल कर रहे हैं। दरअसल, ये सभी ग्रामीण डी डी सीए सेंटर के सरेंडर नक्सली दिनेश मरियम के रिश्तेदार लगते हैं। नक्सलियों ने आरोप लगाया कि इन्हीं लोगों ने उन्हें सरेंडर करने के लिए उकसाया और पैसे और नौकरी के लालच में।उसने सरेंडर किया, जिसके बाद उन्होंने उसके रिश्तेदारों की बेरहम पिटाई की और तीन लोगों की निर्मम हत्या कर दी। ये पूरा मामला जिले के पेड्डा कोरमा गांव का है। गांव वालों का कहना है कि 17 जून की शाम करीब 70 से 80 संख्या में हथियार बंद।

वर्दीधारी नक्सली पहुंचे थे। उन्होंने दो छात्र सोमा मोडियम उम्र 20 साल, अनिल माड़वी 13 साल समेत एक अन्य ग्रामीणों को घर से उठा लिया था। और उनके साथ क्या किया?

छत्तीसगढ़ के बीजापुर

गांव में अब सन्नाटा है और हर घर की आँखें नम हैं। स्कूल में ताले पड़े हैं, बच्चे डरे हुए हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है ये पहली बार नहीं हुआ है, लेकिन अब डर के साए और घना हो गया है। तीनों की हत्या के पीछे शक है कि नक्सलियों ने इन्हें पुलिस का मुखबिर होने का शक उठाया और जंगल में जाकर मार डाला। पुलिस ने शवों को जंगल से बरामद कर बीजापुर जिला अस्पताल में भेजा। लेकिन सवाल यह है कि गांव से तीन लोग अगवा होते हैं और नक्सलियों को कोई चुनौती नहीं मिलती है? हर साल समेत एक अन्य ग्रामीणों को घर से उठा लिया था और उनके साथ क्या किया वो अब आपके सामने है। गांव में अब सन्नाटा है और हर घर की आँखें नम है। स्कूल में ताले पड़े हैं, बच्चे डरे हुए हैं। गांव वालों ने बताया 2 दिन पहले रात के अंधेरे में नकाब पहने नक्सली आए उसके बाद अनील और सोमा को जबरन उठा ले गए। परिवार थाना भी गया लेकिन कोई त्वरित कार्यवाही नहीं हुई। जो अपने आप में एक बड़ा सवाल उठाता है कि कैसे गांव में 50 से 70 वर्दी धारी नक्सली घुस आते हैं। जब हमारे सुरक्षा बल इतना बड़ा। अभियान चला रहे है और लगातार उन्हें एलिमिनेट कर रहे है। कहा ये जा रहा की मार्च 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद खत्म करने का दावा किया जा रहा है। लेकिन ज़मीनी हकीकत ये है कि बच्चों की लाशें आज भी जंगल से बाहर निकल रही है। सरकार को। इस बारे में सोचना चाहिए ।

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