दरअसल छत्तीसगढ़ में जब बीजेपी की सरकार बनी और 2024 में ये वादा किया गया, कि । 31 मार्च 2026 तक माओवाद को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।
केवल दंडकारण्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में उसको लेकर 2024 में 217 माओवादी मारे गए। 800, 900 के लगभग संख्या में माओवादियों ने सरेंडर भी किया और उनकी गिरफ्तारी हुई। 2025 में तो सफलता का आंकड़ा इतना आगे चला गया कि माओवादियों के जो महासचिव है बसवा राजू उन्हें मारा गया। सेंट्रल कमेटी के सुधाकर एस, ज़ी सी, डी के इस तरह के जो बड़े माओवादी है उन्हें भी मारा गया।
हर किसी के जेहन में सवाल आने लगा। अगर माओवादी मारे जा रहे हैं तो क्या वो अपने बचने के लिए कोई रास्ता नहीं या इख्तियार कर रहे हैं? क्या? क्या वो अपने आपको कहीं और शिफ्ट करने की कोशिश कर रहे हैं? हर तरफ से अलग अलग साक्ष्य मिलते रहे? कई बार दबे जुबान से कई लोग बताते रहे कि कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु कॉरिडोर और साथ ही साथ जो काम है वो एम एम सी ज़ोन के तौर पर जैसे की महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ ये जो उनका एक कॉरिडोर था एम एम सी ज़ोन जिसे बोला जाता था और के के टी ज़ोन जिसमे की कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु। हालांकि केकेटी का जो ज़ोन है उसको माओवादी आज तक। जो डेवलप नहीं कर पाए, उन्हें उस तरह के वहाँ पे जो सहयोग है वो भी नहीं मिला। लेकिन एम एम सी जो किसी समय में दीपक तिलपुड़ी के जिम्मेदारी से एंट्रल कमेटी के सदस्य थे । जिन्हें गढ़चिरौली के सी 64 ने छत्तीसगढ़ के परिवर्ती पहाड़ियों में।
किसी समय में एक बड़ा ऑपरेशन किया था जो सबसे बड़ी संख्या थी। सबसे पहली माओवादियों को नुकसान लगभग 27 की संख्या में जहाँ तक ज्ञात है । माओवादी मारे गए थे उसके बाद से एम एम सी ज़ोन को कोई देखने वाला नहीं है या हो सकता है कि माओवादियों ने किसी को वहाँ पर नियुक्त किया हो, लेकिन उसके नाम का खुलासा अब तक नहीं हुआ। खैर, एम एम सी ज़ोन में ही। आता है और बताया जाता है कि माओवादी वहाँ भी अपने आपको एस्टब्लिश करने की कोशिश लंबे समय से कर रहे थे। दीपक के मारे जाने के बाद जो ये इस माओवादियों की रणनीति में कमजोरी जरूर है, एक समय में माओवादियों की एक नई टीम बनी थी, जिसका नाम था विस्तार।
जो उनके टीम का नाम था और ये विस्तार दलम जो तैयार किया गया था। माओवादियों के द्वारा दरअसल इसका काम ही था की नए इलाके में दलम का विस्तार करना उसको लेकर भी एक समय में उनके तस्वीर वायें हुई थी की कौन कौन माओवादी है जो विस्तार दलम में शामिल हुए जिनका काम है बस्तर से। प्रदेश के इलाके में या झारखंड या और अन्य इलाकों में जाकर संगठन का फैलाव करना। आज जब इनकी स्थिति दंड कारण इस तरह से है कि चारों तरफों ने घेरकर मारा जा रहा है, उनके महासचिव को अपने इलाके में सुरक्षित नहीं बचाया जा सकता है। कई सेंट्रल कमेटी के बीते दिनों सुखाकर मारे गए।
डी के जेट सी की रेणुका मुरली इस तरह के कई नाम है जिन्हें अलग अलग इलाकों में मारा गया। हालांकि माओवादियों ने आरोप भी लगाया कि उन्हें जिंदा पकड़कर मारा गया और पुलिस ने यह दावा किया की इन सभी को एनकाउंटर में मार गिराया गया। जो भी हो, लेकिन मारे गए माओवादी इसके बाद बीते दिनों मध्यप्रदेश के बालाघाट। इलाके में एक बड़ी मुठभेड़ का दावा किया गया, जिसमें चार माओवादी मारे गए। मारे गए चार माओवादियों को लेकर मध्यप्रदेश की पुलिस ने एक प्रेस रूट जारी किया है। और क्या जानकारी दिए? सबसे पहले मैं आपको बता देता हूँ। ये उनका प्रेस रूट है जो आप देख रहे है। जिला बालाघाट की तरफ से इसे जारी किया गया, जिसमें लिखा गया है।
मध्यप्रदेश पुलिस को नक्सल विरोधी अभियान में एक और बड़ी सफल था। मुठभेड़ में 56,00,000 के इनामी जार दुर्दान्त नक्सली ढेर किए । जिसमें उन्होंने लिखा है केंद्र और मध्यप्रदेश शासन द्वारा मार्च 2026। भारत को वामपंथी अतिवाद की समस्या से मुक्त कराने के उद्देश्य अपनाई गई। बहुआयामी रणनीति के अंतर्गत मध्यप्रदेश पुलिस ने 14, 6, 2025 को बालाघाट जिले में बड़ी मुठभेड़ में माओवादियों के एमएमसी ज़ोन के महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के इनामी एक पुरुष और तीन हार्डकोर महिला माओवादियों को मार गिराया गया है। ये जो घटना है ये थाना रूपधर चौकी सोनेवाणी अंतर्गत पंचामदा।
जंगल क्षेत्र में जीआरपी डिविजन के नक्सलियों के एक समूह की उपस्थिति की असूचना के आधार पर फोर्स मुझे लगता है जीस तरह से बस्तर में डीआरजी है, महाराष्ट्र में है, तेलंगाना में है, मध्यप्रदेश में भी फोर्स का गठन किया गया है। साथ ही साथ जिला पुलिस। कोबरा फोर्स और सीआरपीएफ बल के द्वारा 13 और 14 जून के मध्य रात्रि से लगातार पचामा, दादर, कटेट एरिया जंगल क्षेत्र में सर्चिंग ऑपरेशन चलाया गया। नक्सलियों द्वारा सर्चिंग ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों के ऊपर अटैक किया गया और इस दौरान जो मुठभेड़ हुई उसमें चार माओवादियों को मार गिराने में सफलता हासिल की गई है।
मारे गए चार जो नक्सली है उसके अलावा और भी नक्सली वहाँ पर घायल हुए। इसकी जानकारी जवानों ने दी है। साथ ही साथ उन्होंने अपने को लिखा है कि आप विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में 2025 में दिनांक वर्ष 2025 में दिनांक। 14, 6 ,2025 तक 10 हार्डकोर माओवादियों को मुठभेड़ में अब तक मार गिराया गया है। पिछले वर्षों की तुलना में सर्वाधिक माओवादियों को ढेर किए जाने की संख्या है। इससे पूर्व 2022 पर सर्वाधिक छह माओवादियों को मारा गया। मध्य प्रदेश, में 2026 तक नक्सलवाद के उन्मूलन नेतृत्व प्रतिबद्ध है।