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एयर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए लोगों का शव ये कह कर दिया गया कि मत खोलना यह ताबूत

मत खोलना ताबूत

एयर इंडिया प्लेन क्रैश में मारे गए लोगों के शव यही कहकर उनके परिजनों को सौंपे जा रहे है। एयर इंडिया के विमान में सवार होकर जो लोग लंडन जा रहे थे, अब उनका पार्थिव शरीर इन ताबूतो में बंद होकर शमशान और कब्रिस्तान के लिए रवाना हुआ। कोई दफ़न होगा। किसी की चिता जलेगी, जिन्हें था वो अपनी अंतिम यात्रा पर निकल चूके है, इन में कैद होकर जा रहे है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ताबूतो को नहीं खोलने कहा गया है। क्योंकि भयानक और के बवंडर में हुई मौतों के बाद जीस अवस्था में ये बॉडीज मिली है। उसे परिवार वाले देख नहीं पाएंगे या देख कर होने वाली पीला को नहीं पाएंगे। अब तक लगभग 50 ,100 मारे गए लोगों के परिजनों को सौंपे जा चूके है। ये सिलसिला तब तक चलेगा जब तक सभी शवों की पहचान ना हो जाए। अब तक लगभग 100 बॉडीज का हो चुका है और ये लगातार काम जारी है।

न्यूज 18  की रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य सरकार की तरफ से 100 सौपते वक्त डेथ सर्टिफिकेट।

पुलिस जांच रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, डीएनए मिलान की पुष्टि के साथ एफ एस एल रिपोर्ट और ज्वेलरी या जो भी कुछ समान उनके हाथ में या जो भी थे वो परिजनों को दिए जा रहे है। आमतौर पर किसी की मौत के बाद परिवार के लोग अंतिम दर्शन के लिए जुटते है। पाठ करते हैं, श्रद्धांजलि देते हैं, फूल माला अर्पित करते हैं। लेकिन एयर इंडिया क्रैश में मारे गए लोगों के माँ, बाप, भाई, बहन, बेटे, बेटी, नाती, पोते, रिश्तेदार अपने परिजनों को आखिरी विदाई भी ठीक से नहीं दे पाएंगे। अहमदाबाद और बड़ोदरा के ताबूत सप्लायर से ताबूत मंगाए गए हैं। उनमें बॉडी पैक करके परिवार वालों को दी जा रही है। हर ताबूत पर एक नाम लिखा है लंदन जाने वाले उस यात्री का नाम, जिसकी वो यात्रा अधूरी रह गई। ताबूत में बंद डेड बॉडीज को लेकर परिजन अपने अपने हिसाब से अंतिम संस्कार की तैयारी के लिए रवाना हो रहे हैं।

प्लेन हादसे में मारे गए गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी के शौक की विकल्प पहचान हुई। आज चार्टेड प्लेन से उनके पार्थिव शरीर को हमने आपको रातों रात अमीर बनना है। स्वराजकोट ले जाया गया।पूरे राजकीय सम्मान के साथ गृहमंत्री अमित शाह और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन पटेल समेत बी जे पी के तमाम नेताओं की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार हो गया।

अब इसी तरह की तस्वीरें अलग अलग हिस्सों से आ रही है। जो लोग मारे गए उनके परिजन। 48 घंटे, 72 घंटे बल्कि अब उससे ज्यादा हो गया। के इंतजार के बाद सैंपलिंग के मिलान के बाद क्रॉस वेरिफिकेशन के बाद पार्थिव शरीर हासिल करने के बाद अंतिम संस्कार करना है।

एक साथ इतने लोगों की मौतों के बाद। ताबूत बनाने वालों का काम बन गया है। वडोदरा के एक चर्च में चर्च के हॉल में नेलविन राजवाड़ी अपने पूरे परिवार के साथ  दिन रात ताबूत बनाने में जुटे हैं। 60 साल के नेलविन राजवाड़ी।तीन दशकों से ताबूत बनाते है, लेकिन कितने कम समय में कितने ताबूत बनाने का ऑर्डर? इससे पहले उन्हें कमी नहीं मिला। इन्हें बना कर देना है इमरजेंसी की स्थिति में। उनके बेटे और बहू बीना राजवाड़ी के साथ हाथ बताने के लिए ईसाई समुदाय के कुछ और लोग आ गए हैं। ये सब मिलकर परसों से वडोदरा के फतेहगंज इलाके में स्थित एक चर्च में चर्च के परिसर में ताबूत बनाना जारी रखे हुए हैं। दो बार। कुछ ताबूत भेज चूके हैं। बाकी बनाने और भेजने की तैयारी चल रही है। वड़ोदरा के जीस चर्च परिसर में नलविन राजवानी लगातार ताबूत बना रहे हैं। वहाँ दी प्रिंट के एक संवाददाता पहुंचे। दी। प्रिंट के संवाददाता से राजवाड़ी ने कहा कि शुक्रवार की रात को जब अहमदाबाद से एयर इंडिया के अधिकारी ने फ़ोन करके 100 ताबूत तैयार करने को कहा तो हम इतने बड़े ऑर्डर के लिए तैयार नहीं थे। फिर 2 घंटे के भीतर समुदाय के लोगों से हमने सफेद कपड़ा और ताबूत बनाने के लिए जरूरी अन्य सामान का इंतजाम किया। और पिछले 24 घंटे से हम बिना रुके काम कर रहे हैं। के मुताबिक 15 लोग इस काम में पिछले दो दिनों से शामिल है। शुक्रवार रात को चर्च परिसर में प्लाईवुड और कपड़े पहुँचाए गए और काम शुरू हो गया। नेल्विन की बहू ने कहा कि जब मैंने हादसे के बारे में सुना तो मुझे लगा कि पापा को ताबूत के लिए कॉल आ सकता है क्योंकि हादसा इतना बड़ा है और अगले ही दिन मैं ऑर्डर नहीं किया दी प्रिंट में की नेल्विन बता रहे हैं की आमतौर पर ये ताबूत हम 6000 में देते हैं, लेकिन जो की इतना बड़ा हादसा है।

गम का शोक का ऐसा माहौल है इसलिए हम 3000 में ये ताबूत तैयार कर रहे है। ऐसे ही अहमदाबाद के सोसाइटी में रहने वाले नीलेश बघेला भी दिन रात ताबूत बजाने में जुटे है। की खबर के मुताबिक नीलेश वैसे तो रोज़ी रोटी के लिए ऑटो रिक्शा चलाते हैं। लेकिन कभी ऑर्डर मिलने पर ताबूत भी बनाते हैं। कारपेंटर है, लिहाजा उन्हें लकड़ियों से ताबूत बनाने का काम आता है। उन्होंने सीख दिया उन्हें भी एयर इंडिया ने 100 ताबूत बनाने का ऑर्डर दिया था। नीलेश दिन रात लकड़ियों को काटछाट करके ताबूत बनाने में जुटे हैं। नीलेश करते हैं, मेरे लिए बिज़नेस नहीं है, सेवा है। उन्हें जब पूछा गया कि क्या? वो सारे पीड़ितों के लिए ताबूत बना सकते है तो उन्होंने अपनी शक्ति के अनुसार 100 बनाकर देने को कहा।

 

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